जानें, प्लेटलेट्स के कम होने से लेकर बढ़ने तक की पूरी जानकारी

जानें, प्लेटलेट्स के कम होने से लेकर बढ़ने तक की पूरी जानकारी

सेहतराग टीम

सर्दी का मौसम लगभग शुरू हो गया है। इसके शुरू होते ही कई तरह की समस्याएं उत्पन्न होने लगी हैं। लोगों में कई बीमारियां सामने आ रही हैं। इसी समय में मच्छर का अटैक अधिक होता है। इससे लोगों में प्लेटलेट्स घटने लगते हैं। ये मच्छर काटने और डेंगू बीमारी की वजह से होता है। तो आइए जानते हैं कि प्लेटलेट्स क्या हैं और इससे कैसे बचा जाएं-

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क्या हैं प्लेटलेट्स (What is Platelets in Hindi):

एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में 5 से 6 लीटर खून होता है, जो मुख्यत: तरल पदार्थ, लाल और सफेद रक्त कोशिकाओं के अलावा कई अन्य तत्वों से मिलकर बना होता है, जिनमें प्लेटलेट्स भी शामिल हैं। रेड ब्लड सेल्स पूरे शरीर मे ऑक्सीजन को एक से दूसरी जगह ले जाने का काम करती हैं। इससे ही हमारे शरीर को एनर्जी मिलती है। सफेद रक्त कोशिकाएं हमें इन्फेक्शन से लडऩे की ताकत देती हैं।

आमतौर पर एक स्वस्थ व्यक्ति के एक वर्ग मिलीलीटर रक्त में प्लेटलेट्स की संख्या डेढ़ से चार लाख तक होती है। इनका मुख्य कार्य चोट लगने पर खून के जमने की प्रक्रिया को तेज़ करके ब्लीडिंग को रोकना है। ऐसी स्थिति में हमारे प्लेटलेट्स कॉलेजन नामक द्रव के साथ मिलकर चोट वाली जगह पर एक अस्थायी दीवार का निर्माण करते हैं और रक्तवाहिका नली को क्षतिग्रस्त होने से बचाते हैं। दरअसल प्लेटलेट्स बोनमैरो में मौज़ूद कोशिकाओं के काफी छोटे कण होते हैं। ये ब्लड में मौज़ूद खास तरह के हॉर्मोन थ्रोबोपीटिन के कारण विभाजित होकर खून में मिल जाते हैं।

कमी से होने वाला नुकसान

जब ब्लड में प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती है तो उस स्थिति को मेडिकल साइंस की भाषा में थ्रोबोसाइटोपेनिया कहते हैं। अगर प्लेटलेट्स की संख्या 10,000 से कम हो जाए तो ब्लीडिंग की आशंका बढ़ जाती है। बहते-बहते यह खून नाक या त्वचा से बाहर आने लगता है। यदि यह स्राव अंदर ही होता रहता है तो शरीर के प्रमुख आंतरिक अंगों जैसे किडनी, लिवर और फेफड़े के निष्क्रिय होने की आशंका भी बढ़ जाती है।

कुछ खास तरह के पेनकिलर्स या एल्कोहॉल के नियमित सेवन, आनुवंशिक रोगों, कीमोथेरेपी के अलावा डेंगू, टाइफाइड, मलेरिया या चिकनगुनिया होने पर भी ब्लड में प्लेटलेट्स  घटने लगते हैं। अगर इनकी संख्या 10,000 से कम हो जाए तो मरीज़ को अलग से प्लेटलेट चढ़ाने की ज़रूरत होती है।

डेंगू और प्लेटलेट्स

डेंगू के लिए जि़म्मेदार एडीस मच्छर मांसपेशियों पर न काटकर सीधे ब्लड वेसेल्स पर हमला करता है, जिससे रक्त में वायरस का संक्रमण बहुत तेज़ी से फैलता है। इन्फेक्शन बढऩे के बाद खून से पानी अलग होने लगता है। ब्लड के भीतर छोटे कणों के रूप में मौजूद प्लेटलेट्स की संख्या के कम होने के कारण खून का थक्का नहीं जम पाता। इसलिए मौसम बदलने के साथ खानपान में आंवला, चीकू, काजू, ब्रॉक्ली, हरी सब्जियों, खट्टे फलों और मिल्क प्रोडक्ट्स की मात्रा बढ़ानी चाहिए क्योंकि विटमिन सी और कैल्शियम भी हमारे इम्यून सिस्टम को मज़बूत बना कर प्लेटलेट्स की संख्या घटने से रोकते हैं।

अकसर डेंगू या मलेरिया के दौरान व्यक्ति का इम्यून सिस्टम कमज़ोर पडऩे लगता है। ऐसी स्थिति में लोगों को अधिक से अधिक तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए। आयुर्वेद में प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए पपीते के पत्ते या गिलोय का रस, नारियल पानी और बकरी के दूध का सेवन करने की सलाह दी जाती है। हालांकि इन चीज़ों में मौज़ूद तरल पदार्थों की वजह से मरीज़ की रोग-प्रतिरोधक क्षमता निश्चित रूप से बढ़ती है, पर समस्या के उपचार के लिए केवल इन्हीं तरीकों पर निर्भर रहना सुरक्षित नहीं होता।

राहत की बात यह है कि प्लेटलेट्स जिस तेज़ी से घटते हैं, वे वापस उसी रफ़्तार से बढ़ भी जाते हैं। कुछ लोग बार-बार प्लेटलेट काउंट करवा रहे होते हैं। अगर किसी व्यक्ति के ब्लड में इनका न्यूनतम काउंट 30,000 तक हो, तो चिंता की कोई बात नहीं है। जब तक स्थिति ज्य़ादा गंभीर न हो, डेंगू के हर मरीज़ को अस्पताल में भर्ती होने की ज़रूरत नहीं होती। यदि डॉक्टर के सभी निर्देशों का पालन करते हुए तरल पदार्थों का पर्याप्त मात्रा में सेवन किया जाए तो स्वाभाविक रूप से प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ जाती है, जिससे व्यक्ति शीघ्र ही स्वस्थ हो जाता है।

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